राजकीय कार्यों में शिथिलता एवं लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के लिए घनसाली बना डंपिंग ज़ोन : अरुणोदय नेगी
क्या घनसाली अधिकारियों के लिए सज़ा की जगह बनता जा रहा है: नेगी
घनसाली:- सरकार का एक हालिया फैसला न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करता है, क्या अब पहाड़ी क्षेत्र उन्हें सौंपे जाएंगे जो मैदानी इलाकों में अनुशासन तोड़ चुके हैं।
ताजा मामला अधिशासी अभियन्ता, निर्माण खण्ड, लोक निर्माण विभाग, खटीमा के अपर सहायक अभियंता, (सिविल) रिज़वान खान का है जिन्हें लोक निर्माण विभाग द्वारा राजकीय कार्यों में शिथिलता एवं लापरवाही बरतने एवं आदेशों का अनुपालन न किये जाने के कारण घनसाली जैसे संवेदनशील क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है। जबकि विभाग ने स्वयं उनके खिलाफ लापरवाही, आदेशों की अनदेखी और प्रशासनिक असहयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
वहीं इस मामले में अरुणोदय सिंह नेगी, सदस्य उत्तराखंड प्रदेश काँग्रेस कमेटी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उक्त स्थानांतरण को जनहित में तत्काल प्रभाव से निरस्त करने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
अरुणोदय नेगी ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में लिखा है कि मा० मुख्यमंत्री उत्तराखंड शासन, लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी उपरोक्त आदेश में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि रिज़वान खान, अपर सहायक अभियंता (सिविल) के कार्य व्यवहार पर गंभीर प्रश्नचिह्न हैं। विभाग ने स्वयं उनके कार्य में लापरवाही, निर्देशों की अवहेलना और प्रशासनिक असहयोग जैसे आरोप दर्ज किए हैं। ऐसे में यह पूरी तरह चौंकाने वाला निर्णय है कि इस प्रकार के अधिकारी को घनसाली जैसे संवेदनशील, जटिल और विकासशील क्षेत्र में तैनात किया गया है। यह स्थानांतरण स्पष्ट रूप से जनहित की अवहेलना है और इससे यह संदेश जाता है कि शासन दोषी अधिकारियों को पहाड़ी क्षेत्रों में भेजकर केवल स्थानांतरण की खानापूर्ति कर रहा है।
उन्होंने आगे लिखा है कि घनसाली कोई “डंपिंग ग्राउंड” नहीं है जहाँ विभागीय अनुशासनहीनता की सज़ा भुगतने भेजा जाए। यहाँ की जनता ईमानदार, उत्तरदायी और पारदर्शी प्रशासन की हकदार है।
इस स्थानांतरण का मैं पूर्ण विरोध करता हूँ और मांग करता हूँ कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। यदि शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो स्थानीय जनता में असंतोष फैलना स्वाभाविक है।