संवाददाता:- पंकज भट्ट,घनसाली
टिहरी गढ़वाल:- उत्तराखंड के हर कोने में सौंदर्य, इतिहास और प्रकृति का खजाना फैला हुआ है और इसी को देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक हर साल लाखों की तादाद में यहां पहुंचते हैं। यूं तो यहां का हर कोना, शहर और गांव अपना अलग महत्व रखता है लेकिन यहां की कुछ जगहों का आकर्षण पर्यटकों के बीच हमेशा ही बना रहता है।
बटपुड़ बुग्याल और भैरव मेला अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है जबकि यहां पर पर्यटक तो पहुंचते है पर सरकारों को पहुंचने में आज भी वर्षों बीत गए लेकिन अभी तक नहीं पहुंच पाए।
कहां है ये खूबसूरत जगह देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट:-
मेले और त्योहार एक-दूसरे से मिलने के अवसर होते है । प्राचीन समय में,जब संचार और परिवहन की कोई ऐसी सुविधाएं नहीं थीं, तो इन मेलों और त्यौहारों ने रिश्तेदारों और दूर दूर भौगोलिक स्थानों पर रहने वालों के साथ मुलाकात जैसे सामाजिक सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इन आयोजनों के पीछे धार्मिक महत्व और सामाजिक संदेश जैसे सामाजिक महत्व होते है। इस क्षेत्र के अधिकांश त्योहार पौराणिक परंपराओं पर आधारित हैं।
हम बात कर रहे हैं बटपुड़ मेले की जो प्रकृति के सबसे करीब और खूबसूरत मखमली बुग्यालों के बीच हर तीसरे वर्ष लगता है।
यहां पर प्राचीन भैरव मंदिर है
भैरव को यहां पर इन खूबसूरत जंगलों और बुग्यालों का राजा भी माना जाता है
टिहरी के बासर और भिलंग पट्टियों के बीच है बटपुड़ बुग्याल
वहीं अगर बात करें बटपुड़ की तो यह स्थान टिहरी जनपद के बालगंगा तहसील के अंतर्गत बालगंगा और भिलंगना रेंज में आता है जिसमें दूर दराज से लोग इस मेले में आते हैं।
लोग मेले में भैरव देवता के दर्शन के बाद यहां पर लगी दुकानों से खरीददारी करके जलेबी पकोड़ी का भी लुत्फ उठाते हैं। और अपनों से मेल मिलाप के साथ-साथ प्रकृति को भी करीब से निहारते हैं।
यहां पर और भी कही सारे मखमली बुग्याल है जैसे, भंडारग्वाड ( दांतअखोड़) मौन, देवतासौड़, पौली, आदि कई सारे बुग्याल है ।
कुछ पर्यटक यहां से सहस्त्रताल की तरफ भी जाते हैं। लेकिन इस ट्रेक पर उचित व्यवस्था ना होने से यहां पर बाहरी पर्यटक इस रास्ते का प्रयोग कम ही करते हैं।
वहीं कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस खूबसूरत जगह को संवारना चाहिए जिस कारण यहां स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकता है ।
वहीं देहरादून से आये पर्यटक और समाजसेवी डॉ विजय कुमार नौटियाल का कहना है कि यहां के स्थानीय प्रतिनिधियों को सरकार तक जनता की आवाज़ पहुंचाई जानी चाहिए और इस खूबसूरत जगह को विकसित किया जाना चाहिए ताकि यहां पर और अधिक पर्यटक और रोजगार जुड़ सके।
वहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष दिनेश व्यास का भी यही कहना है यहां पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं लेकिन यहां पर मूलभूत सुविधाएं ना होने से लोग मायूस हो कर चले जाते हैं। उनका कहना है कि यह एक ख़ूबसूरत स्थान है और सरकार को इसे संवारना चाहिए।
वहीं इस मौके पर कांग्रेस नेता दिनेश लाल आर्य का कहना है कि आज तक जितनी भी सरकारें बनी है किसी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया, जबकि सरकार पलायन और बेरोज़गारी रोकने की बात करती है लेकिन इस तरह के खूबसूरत पर्यटन स्थलों को सरकार आज तक चिन्हित नहीं कर पाई है और ना ही इन पर्यटन स्थलों तक विकास पहुंच पाया है।
आपको बता दें कि यह स्थान समुद्र तल से 2292 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर 6 महीने तक स्थानीय लोग अपने पशुओं को चुगान के लिए लाते हैं जबकि सर्दियों में यहां पर बर्फबारी भी काफी समय तक होती रहती है ।
आखिर देखने वाली बात है कि अगर सरकार वास्तव में स्वरोजगार और पलायन रोकने की बात कर रही है तो फिर इस तरह के खूबसूरत स्थलों को कब तक संवारेगी। यहां पर सड़क और पानी कब तक पहुंचाएगी।
स्थानीय लोग बटपुड़ को पर्यटन के मानचित्र पर लाने की सरकार से अपील कर रहे है।