सावन सोमवार 2021:-इस दिन है सावन का पहला सोमवार व्रत, मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व।

उत्तराखंड देहरादून

सावन सोमवार:-  शिव भक्तों के लिए सावन के महीने का खास महत्व होता है। ये पूरा महीना विशेषतौर पर भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी श्रद्धापूर्वक भगवान शिव का पूजन करते हैं आशुतोष शिव उससे तत्काल प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसी कारण शिव भक्त इस माह में विभिन्न तरीकों से भगवान शिव की आराधाना करते हैं। इस वर्ष सावन की पहले सोमवार की शुरूआत 19 जुलाई से हो रही है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहें हैं जिन्हें अपना कर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है..

1- जीवन संतुलित रूप से नहीं चल रहा है, मानसिक रूप से परेशान रहते हैं तो सावन के सोमवार को भगवान शिव को चावल और दूध की बनी खीर चढ़ाएं। सभी तरह के मानसिक तनाव और परेशानियां दूर होंगी।

2-अगर आप अपने जीवन में आर्थिक तौर पर परेशान है, नौकरी या कारोबार में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो सावन के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर आनार का जूस चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
3- अगर आप लंबे समय से बीमार हैं और स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है तो जल में काला तिल डालकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी में जल्द ही स्वास्थ्य लाभ होने लगता है।

4- अगर आपके दामपत्य जीवन में किसी तरह की समस्या आरही है, पति-पत्नि में अनबन रहती है। ऐसे में सावन के माह में पति-पत्नि मिलकर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें, दामपत्य जीवन की सारी दिक्कतें दूर होंगी।
5- सावन के महीने भर मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। महीने भर सात्विक आहार ग्रहण करें और सोमवार का व्रत रखें भगवान शिव आपके सारे संकट और दुख दूर करेंगे।

सावन सोमवार व्रत विधि
सावन सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें।
शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
पंचामृत से रुद्राभिषेक करें, बिल्व पत्र अर्पित करें।
शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं।
प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं।
धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें।
अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

सावन सोमवार व्रत नियम
शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

सावन माह से जुड़ी पौराणिक कथा
देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को कैलाशपति भगवान शिव जी ने पी लिया था। विष के प्रभाव से उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया था जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी। भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर वर्षा की। कहते हैं कि यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था। इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं।