ब्रेकिंग:- टिहरी डैम प्रभावितों ने THDC ऑफिस के बाहर दिया धरना, यह है प्रमुख मांग।

उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल ब्रेकिंग न्यूज

टिहरी गढ़वाल:- टिहरी डैम प्रभावित नंदगाव और पयाल गांव के ग्रामीण आज भी भारी बारिश के बीच धरने पर डटे रहे। ग्रामीण विस्थापन सहित 7 मांगों को लेकर टीएचडीसी आफिस बी पुरम में 6 दिनों से लगातार आक्रोशित हैं। टीएचडीसी ऑफिस के बाहर ग्रामीण महिलाओं ने पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी पर बांध प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है। उनकी जमीन और मकानों पर दरारें पड़ रही हैं। इसके बावजूद उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता सागर भंडारी ने कहा कि हमारा धरना जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ नहीं है। हमारा धरना टीएचडीसी के खिलाफ है। टिहरी बांध परियोजना के कारण टिहरी झील बनी है। टिहरी झील से गांवों को नुकसान हुआ है। गांव का विस्थापन सही तरीके से किया जाना है। वहीं उन्होंने कहा कि टीएचडीसी की दमनकारी नीति के खिलाफ अधिशासी निदेशक टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के कार्यालय के बाहर सात मांगो को लेकर 6 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है।

ये हैं ग्रामीणों की प्रमुख मांगे

1. संयुक्त विशेषज्ञ समिति से हटाये गए विधायकों को वापस समिति में रखा जाए।

2. संपार्श्विक क्षति के तहत ग्रामीणों को संपूर्ण राशि का एक मुश्त में भुगतान किया जाए।

3. टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड मे बांध प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को स्थाई रोजगार दिया जाय।

4. टिहरी बांध क्षेत्र से 24 घंटे आवागमन की सुविधा हो।

5. हनुमंत राव कमेटी की शर्तों के आधार पर बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मुफ़्त बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।

6. सीएसआर फंड को टिहरी जिले के अस्पतालों एवं विद्यालयों के प्रभावी संचालन मे प्रयोग किया जाए।

7. कट ऑफ डेट को 2013 किया जाए।

वहीं नंदगांव की स्थानीय महिला मंजू ने कहा कि टीएचडीसी ने जो पॉलिसी बनाई है वह ग्रामीणों के हित में नहीं है। इससे ग्रामीणों को नुकसान हो रहा है। दूसरी महिला बबीता ने कहा हमें टीएसडीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठने के लिए रोका जा रहा है, जबकि हम शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रखने के लिए धरने पर बैठे हैं।
वहीं टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि विस्थापन का कार्य जिला प्रशासन और पुनर्वास विभाग द्वारा किया जाना है। जो भी मांगें हैं, वह जिला प्रशासन व पुनर्वास विभाग से संबंधित हैं। टीएचडीसी से इनका कोई वास्ता नहीं है। विस्थापन के लिए नीति बनी है। उसी आधार पर ही इनका विस्थापन किया जाएगा।