वीडियो:- इसलिए शहीद जनरल बिपिन रावत को 21 की बजाए 17 तोपों की दी गई सलामी।

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नई दिल्ली:- तमिलनाडु के कन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में जान गवांने वाले भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का पूरे राजकीय सम्मान के साथ दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी ने अंतिम संस्कार किया। दिल्ली के बरार स्क्वायर श्मशान घाट पर देश के सबसे बड़े योद्धा जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को दोनों बेटियों ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।  प्रोटोकॉल के अनुसार, CDS जनरल बिपिन रावत का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और उन्हें 17 तोपों की सलामी दी गई। तोपों की सलामी को लेकर लोगों के मन में अक्सर ये सवाल उठते है कि आखिर ये क्यों दी जाती है इसके पीछे क्या वजह है।

सम्मान का प्रतीक है सलामी

दरअसल, यह सम्मान (तोपों की सलामी) देने की एक प्रक्रिया है, जिसका फैसला सरकार करती है किसे राजकीय सम्मान देना है किसे नहीं। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस सहित कई अन्य मौकों पर तोपों की सलामी (Gun salute) दी जाती है। विशेष मौकों पर तोपों की सलामी देकर सम्मान दिया जाता है। वहीं भारतीय सेना के सैन्य सम्मान उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने शांति अथवा युद्ध काल में अपना विशेष योगदान दिया हो। राजकीय सम्मान (state honor) में भी तोपों की सलामी दी जाती है। भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान, कला के क्षेत्र में योगदान करने वाले शख्सियतों के निधन पर राजकीय सम्मान दिया जाने लगा है।

इसलिए जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी का दिया गया सम्मान

17 तोपों की सलामी हाई रैंकिंग सेना अधिकारी, नेवल ऑपरेशंस के चीफ और आर्मी और एयरफोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ को दी जाती है। भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद नया है। चूंकि ये पद सेना से जुड़ा हुआ है इसलिए उन्हें भी 21 नहीं बल्कि 17 तोपों की ही सलामी दी जाएगी। कई मौकों पर भारत के राष्ट्रपति, सैन्य और वरिष्ठ नेताओं के अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है।