निर्जला एकादशी:- आज है निर्जला एकादशी व्रत, जानिए निर्जला एकादशी व्रत की सही तिथि।।

उत्तराखंड

Nirjala Ekadashi:- सभी एकादशी में निर्जला एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है। इस साल एकादशी की दो तिथि मानी जा रही है। एक एकादशी तिथि 10 जून को शुक्रवार की सुबह 7:25 से शुरू होकर अगले दिन 11 जून को 5:45 तक रहेगी। निर्जला एकादशी व्रत की तिथि को लेकर लोगों में बड़ा असमंजस है। पंचांग के अनुसार तिथि अगर सूर्योदय से पहले लग रही है तो उसे उदया तिथि माना जाता है और अगर तिथि सूर्योदय के बाद लग रही तो यह अगले दिन ही मानी जाएगी। यह एकादशी 10 जून को सूर्योदय के बाद 7:25 पर लग रही है। इसलिए इसे उदया तिथि माना जाएगा।

कब रखें एकादशी व्रत

एकादशी व्रत उदया तिथि 11 जून को ही करना उत्तम होगा। देव कार्यो की तिथि उदयातिथि से मनाई जाती है। निर्जला एकादशी की उदयातिथि 11 जून को ही रहेगी। इसी दिन द्वादशी का क्षय और तेरस भी लग रही है। जिसके कारण अति शुभ मुहूर्त भी बन रहा है। इस दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए साथ ही पीले वस्त्र भी धारण करने चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के व्रत का संकल्प लें। साथ ही भगवान को भी पीली वस्तुएं अर्पित करें। मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इस दिन अन्न और फलों का भी त्याग रखें। गरीब और जरुरतमंदो को दान करें। इसके अगले दिन द्वादशी में भी स्नान कर श्री हरि का नाम लेकर अन्न जल ग्रहण व्रत का परायण करें। ऐसा करने से समस्त पापों का नाश होता है।

निर्जला एकादशी का महत्व
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। निर्जला यानि कि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए उपवास रखकर किया जाता है। यह व्रत कठिन तप और साधना के समान ही महत्व रखता है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकदशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भोजन संयम रखने वाले पांच पांडवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और उन्हें सुफल प्राप्त हुए थे। हिंदू धर्म में एकादशी का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक महत्व भी बहुत होता है।
आप सभी को निर्जला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।