घनसाली:- सिल्यारा गांव में भव्य पौराणिक पांडव नृत्य का दूसरा दिन, पांडव पश्वाओं, देव डोलियों और ग्रामीणों ने ढोल की थाप पर जमकर किया नृत्य।

आस्था उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल ब्रेकिंग न्यूज

घनसाली:- विकासखंड भिलंगना के नजदीकी गांव सिल्यारा में 16 दिवसीय पौराणिक पांडव नृत्य का गुरुवार को शुभारंभ हो गया है। यज्ञ हवन के बाद विधिवत पांच पांडवों के पश्वाओं, देव डोलियों तथा देव निशानों ने ढोल दमाऊ की थाप पर नृत्य किया।
पौराणिक पांडव नृत्य के सुप्रसिद्ध ढोल वादक सोहन लाल ने महाभारत की कथा का काव्य शैली में वर्णन कर पांडव पश्वाओं को नृत्य कराया। ग्राम सिल्यारा, केमरा व सेंदुल के ग्रामीणों की ओर से सदियों से गांव में पांडव नृत्य का भव्य आयोजन किया जाता रहा है। पांडव नृत्य में नागराजा, भैरव, मां दुर्गा की डोलियों और देव निशानों को भी आमंत्रित किया गया है।
इसी क्रम में आज सिल्यारा गांव में आयोजित पौराणिक पांडव नृत्य आयोजन के दूसरे दिन पांडव पश्वाओं, देव डोलियों और ग्रामीणों ने ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। पांडव नृत्य को देखने के लिये दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। ग्रामीणों ने पांडवों, ग्राम देवता नागराजा और भैरव का आशीर्वाद लेकर देवताओं को चावल और पिठाई भेंट की। पांडव नृत्य में श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय में संस्कृति विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर ढोल सागर का प्रशिक्षण दे रहे सोहन लाल ने अपनी ढोल की थाप पर पांडव और देवताओं के पश्वाओं को नृत्य करवाया।
वहीं ढोल वादक सोहन लाल के द्वारा पांडव नृत्य के दूसरे दिन द्रोपदी की उत्पति की कथा को काव्य शैली में गाकर देव डोलियों के साथ ग्रामीणों को नृत्य करने पर मजबूर कर दिया। वहीं पांडव पश्वाओं ने पारम्परिक वेश भूषा के साथ हाथों में धनुष, बाण, गदा, लाठी, पाटी व द्रोपदी ने हाथों में कटार लेकर नृत्य किया। ढोल वादक सोहन लाल ने कहा कि पांडव नृत्य महाभारत कथा के आधार पर आयोजित किया जाता है, जिसमे कुछ चीजें स्थानीय लोगों द्वारा पारम्परिक रूप से जोड़ी गई है।
पांडव नृत्य समिति के अध्यक्ष सब्बल सिंह बिष्ट ने बताया कि 16 दिवसीय पांडव नृत्य में संपूर्ण महाभारत कथा को काव्य शैली में ढोल वादक द्वारा गायन कर पांडवों की आत्माओं का आह्वान किया जाएगा। ढोल दमाऊ की थाप पर सभी देवी देवताओं से नृत्य कराया जाता है, ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र की यश कुशल का आशीर्वाद मांगा जाता है।
वहीं ग्राम प्रधान सुमित्रा देवी कैंतुरा ने कहा कि सिल्यारा गांव में सदियों से चली आ रही पांडव लीला के आयोजन की प्रथा को ग्रामीण अनन्य धार्मिक अनुष्ठान के रूप में आयोजित करते हैं। प्रत्येक परिवार इसमें भागीदारी को अपना सौभाग्य मानता है। जिसमें गांव के पुरुष, महिलाएं, वृद्ध एवं बच्चे पूरे उत्साह के साथ पूर्ण भागीदारी निभा रहे हैं।