चमियाला:- टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक में बालगंगा रेंज के अंतर्गत अधिकतर गांव में बंदरों एवं जंगली सुअरों का आतंक लगातार बना हुआ है जिससे जंगली सुअर और बंदर किसानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। जिसके चलते लोग पहाड़ों से लगातार पलायन करते जा रहे हैं।
आपको बता दें कि बालगगां रेंज के ग्राम पंचायत वाड अणुवां में विगत कई वर्षों से जंगली सुअरों का आतंक थमने का नाम नही ले रहा है जिससे सूअरों द्वारा आए दिन किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया जा रहा है। जिससे काश्तकार आपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है ।
इसी क्रम में आज प्रधान संगठन अध्यक्ष दिनेश भजनियाल बालगंगा रेंज कार्यालय में पहुंचकर बालगंगा रेंज अधिकारी प्रदीप चौहान को ज्ञापन सौंपा एवं गांव के किसानों को जंगली सूअरों से निजात दिलाने एवं सूअरों द्वारा उनके फसलों को किये नुकसान का उचित मुआवजा दिलाने को लेकर निवेदन किया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व में उनके द्वारा कई बार शासन-प्रशासन एवं विभाग को लिखित व मौखिक में ज्ञापन दिया गया है लेकिन अभी तक न ही सुअरों के आतंक से कोई निजात दिलाई गई और न ही किसानों को कोई मुआवजा दिया गया। उन्होंने शासन-प्रशासन एवं विभाग से जंगली सूअर मारने की भी अनुमति मांगी है।
प्रधान संगठन भिलंगना के अध्यक्ष व ग्राम प्रधान दिनेश भजनियाल ने कहा कि उन्होंने अपने ग्राम पंचायत में बंदर और जंगली सुअरों द्वारा काश्तकारों की खेती को बचाने के लिए गांव से ही दो चौकीदारों को ग्राम पंचायत के निजी खर्चे पर नियुक्त किया है लेकिन सूअर रात में आते हैं और फसलों को नष्ट कर देते हैं जिससे क्षेत्र के काश्तकारों की हाड़तोड़ मेहनत को जंगली जानवर चौपट कर रहे हैं। दिन में बंदरों का आतंक तो रात्रि में जंगली सुअरों का आतंक। जिससे काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिससे किसानों में शासन प्रशासन एवं विभाग के प्रति भारी रोष व्याप्त है। क्षेत्र के किसानों ने वन विभाग से बंदरों व सुअरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
आपको बता दें कि प्रधान संगठन अध्यक्ष भिलंगना दिनेश भजनियाल आए दिन अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर अक्सर चिंतित रहते हैं और ग्रामीणों की समस्या के समाधान के प्रति प्रतिबंध एवं संकल्पित रहते हैं।
वहीं ग्रामीणों ने बताया कि रात को जंगली जानवरों के झुंड उनकी फसल पर हमला कर उसे पूरी तरह बर्बाद कर रहे हैं, जिसके चलते उनके पास बीज के लिए भी कुछ नहीं बचता है। इस कारण उनके सामने रोजी रोटी की समस्या पैदा हो रही है, मगर इस संबंध में न सरकार तथा न ही प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है, अगर कोई भी व्यक्ति इन जंगली जानवरों को मारने की बात करता है तो उस पर फॉरेस्ट विभाग की ओर से एनिमल एक्ट का डंडा चलाया जाता है। गांव वासियों का कहना है कि इससे तो अच्छा है कि वे अपने खेतों में फसल ही न बोएं।
गांव वासियों का कहना है कि ये जानवर कभी भी लोगों पर भी जानलेवा हमला कर सकते हैं। गांववासियों ने सरकार एवं संबंधित विभाग से मांग की है कि या तो वे इन जंगली जानवरों पर लगाम लगाएं या फिर उनको उचित मुआवजा अदा किया जाए, क्योंकि क्षेत्र के अधिकांश लोग छोटी- मोटी खेतीबाड़ी एवं पशु पालन पर ही निर्भर हैं। अगर उनकी खेती ही बर्बाद हो जाए, तो वे कहां जाएंगे। गांव वासियों का कहना है कि सरकार उनकी समस्या को मध्य नजर रखते हुए कोई हल निकाले।
वहीं इस दौरान प्रधान संगठन अध्यक्ष दिनेश भजनियाल ने कहा कि अगर शासन प्रशासन विभाग द्वारा शीघ्र जंगली जानवरों के आतंक से निजात नहीं दिलाया गया तो वे क्षेत्रीय ग्रामीणों के साथ उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन एवं विभाग की होगी ।