गुजरात/अहमदाबाद:– साइंस सिटी, अहमदाबाद में आयोजित दो दिवसीय सेंटर स्टेट साइंस कॉन्क्लेव में रेखा आर्य मंत्री, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलें, खेल एवं युवा कल्याण द्वारा प्रतिभाग करते हुए लीडरशिप सत्र को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन में उन्होनें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केदारनाथ से किये गए उद्घोष “21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा का जिक्र करते हुए कहा की प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के माध्यम से स्थानीय गवर्नेस में गुणात्मक सुधार लाते हुए आत्मनिर्भर उत्तराखंड के सपने को साकार करने में प्रयासरत है। इस क्रम में राज्य कैबिनेट सहित विभिन्न स्तरों पर विचार मंथन किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी बताया की उत्तराखंड शासन के प्रायः सभी मंत्रालयों में नई तकनीक का प्रयोग प्रारम्भ हुआ हैं।
मंत्री ने उत्तराखंड में हिमालयी क्षेत्र की आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से एक अत्याधुनिक आपदा अध्ययन एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना करने का अनुरोध किया। साथ ही सीमान्त राज्य होने के कारण प्रदेश में साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक उच्च श्रेणी के साइबर सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए भी सहयोग का अनुरोध किया।
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए टेली मेडिसीन जैसी तकनीक और जीविकोपार्जन के लिए प्राकृतिक संसाधनों एवं कृषि एवं बागवानी आधारित कार्यों में आधुनिक तकनीक के प्रयोग के लिए केन्द्रीय संस्थानों की सक्रिय भागेदारी पर जोर दिया।
उन्होने उत्तराखंड में सेमीकंडकटर आधारित उद्योगों की स्थापना के सम्बन्ध में भी अपनी बात जोरदार ढंग से रखते हुए केंद्र सरकार से सहयोग की अपील की।
प्रदेश में कूड़े के निस्तारण के लिए उन्होने भारतीय पेट्रोलियम, आई०आई०टी० रुड़की जैसे राष्ट्रीय संस्थानों से तकनीकी रूप से उन्नत समाधान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
अपने सम्बोधन में उन्होने इस बात का भी जिक्र किया कि किस तरह उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) के माध्यम से भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय से मार्गदर्शन लेकर, उत्तराखंड सरकार, जिला स्तर पर प्रशासन एवं गवर्नेस से सम्बंधित चुनौतियों का विज्ञान तकनीक और नवाचारी विधियों से त्वरित और प्रभावी रूप से समाधान करने की दिशा में गंभीर रूप से प्रयत्न कर रही है।
मंत्री रेखा आर्या ने यह भी बताया कि राज्य सरकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से राज्य के विकास के लिए कटिबद्ध है एवं राज्य के सतत् विकास के लिए ऊर्जावान एवं युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में परिषद, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के माध्यम से राज्य की स्थानीय समस्याओं को स्थानीय स्तर एवं स्थानीय लोगों की मदद से हल करने का प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखण्ड @25 को आधार मानकर राज्य को आदर्श राज्य बनाने पर कार्य किया जा रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत को अनुसंधान एवं नवाचार का वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए ठोस प्रयास करना होगा और राज्य सरकारों को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में आधुनिक नीतियां बनाने हेतु आह्वान किया। उक्त कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत ‘जय जवान जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, हमें इस ‘अमृत काल में भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ कार्य करना होगा। हमें स्थानीय स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को ले जाना है। आज समय की जरूरत भी है कि सभी राज्य स्थानीय समस्याओं का स्थानीय समाधान खोजने के लिए नवाचार पर जोर दें। इसके लिए विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित आधुनिक नीतियां बनाने का आग्रह किया और वैज्ञानिकों के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को अधिक से अधिक वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना, उच्च शिक्षण संस्थानों में भी नवाचार प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत सरकार के प्रयासों के कारण विश्व नवोन्मेष सूचकांक में भारत की रैकिंग 2015 में 81 के मुकाबले बेहतर होकर 46 हो गई है, यह गौरव का विषय है।
सेंटर स्टेट साइंस कॉन्क्लेव का समन्वय भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा० जितेंद्र सिंह ने किया।
इस सम्मेलन में भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, केंद्रीय संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं शीर्ष अधिकारी उपस्थित है। उत्तराखण्ड से मंत्री रेखा आर्या के साथ यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो० दुर्गेश पंत एवं संयुक्त निदेशक, डा० डी०पी० उनियाल भी इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे हैं।