देहरादून:- उत्तराखंड में कांग्रेस विपक्ष की जिम्मेदारी कैसे निभाएगी इस पर इन दिनों काफी सवाल उठ रहे हैं।
हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि राज्य में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पार्टी हाईकमान को इस्तीफा दे चुके हैं और पिछले कई दिनों से न तो कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल पाया है और ना ही संगठन बिना अध्यक्ष के सक्रिय हो पा रहा है। कांग्रेस को अब एक ऐसे चेहरे की तलाश है जो राज्य में पार्टी को नेतृत्व दे सके।
उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी हाईकमान ने सभी प्रदेशों के अध्यक्षों से इस्तीफा तो मांग लिया, लेकिन अब तक कहीं भी राज्य को नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। उत्तराखंड भी इन्हीं राज्यों में से एक है। लिहाजा राज्य में कांग्रेस के सारे कार्यक्रम शिथिल हो गए हैं।
प्रदेश में सदस्यता अभियान की हाल ही में शुरूआत की गई थी और डिजिटल रूप से भी लोगों को सदस्य बनाने की पहल की गई थी। लेकिन जिस तरह कांग्रेस को प्रदेश में हार मिली उसके बाद अध्यक्ष के इस्तीफे सदस्यता अभियान पर भी संकट खड़ा कर दिया है। स्थिति यह है कि पिछले कई दिनों से कांग्रेस के प्रदेश के नेताओं को ही नहीं पता कि राज्य में कांग्रेस भविष्य में क्या करेगी।
एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष राज्य में कांग्रेस के पास नहीं है तो दूसरी तरफ संगठन भी किसी काम करने की स्थिति में नहीं है। इन्हीं हालातों के चलते यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार उत्तराखंड में कांग्रेस मजबूत विपक्ष की जिम्मेदारी कैसे निभा पाएगा। वहीं कांग्रेस प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि राज्य में कांग्रेस संगठन की स्थिति वाकई विचारणीय है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान अगले एक हफ्ते में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर देगी। जिसके बाद एक बार फिर कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ भाजपा से लड़ने के लिए तैयार होगी।