देहरादून:- उत्तराखंड में तिमूर की व्यावसायिक खेती किसानों को मालामाल करेगी। औषधीय गुणों से भरपूर तिमूर की बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए पहली बार राज्य में तिमूर मिशन का प्लान तैयार किया गया है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पिथौरागढ़ जिले से मिशन की शुरुआत की जाएगी सगंध पौध केंद्र सेलाकुई में तिमूर के चार लाख पौध की नर्सरी तैयार की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रदेश में तिमूर मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत प्रदेश में 10 साल के भीतर दो हजार हेक्टेयर भूमि पर तिमूर की व्यावसायिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया।
पहले चरण में तिमूर मिशन को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पिथौरागढ़ जिले में 500 हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाएगी। तिमूर के बीज, पत्तियां, छाल और तने का इस्तेमाल टूथपेस्ट, चटनी, मसाले और परफ्यूम बनाने में किया जाता है।
इसके अलावा पायरिया की बीमारी को दूर करने में तिमूर छाल का प्रयोग होता है, जिससे बाजार मैं मांग रहती है। खास बात यह है कि तिमूर को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। साथ ही बंजर भूमि पर आसानी से तिमूर खेती की जा सकती है।
तिमूर का बीज 700 रुपये किलो तक बिकता है, जबकि तिमूर की छाल एक हजार रुपये प्रति किलो तक है। अभी तक प्रदेश में प्राकृतिक रूप से तिमूर होता है। पिथौरागढ़ जिले में तिमूर बड़े स्तर पर पाया जाता है, जिससे पिथौरागढ़ से तिमूर मिशन की शुरुआत की जा रही है।
वहीं नृपेंद्र सिंह चौहान, निदेशक संगंध पौध केंद्र सेलाकुई ने कहा कि तिमूर की खेती प्रदेश के किसानों की आर्थिकी बदल सकती है। पहले चरण में तिमूर मिशन को पिथौरागढ़ जिले से शुरू किया जाएगा। इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। किसानों को तिमूर के पौध उपलब्ध कराने के लिए इस साल चार लाख पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है।