रिपोर्ट:- दीपक श्रीयाल,घनसाली
घनसाली/चमियाला:- भिलंगना प्रखंड की दो नगर पंचायत घनसाली व चमियाला के आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति हेतु बनाई जाने वाली पम्पिंग योजनाओं का निर्माण कार्य खटाई में पड़ गया है।तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल ये दो पेयजल योजना चार वर्ष बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है जिससे आज भी दोनों नगर के लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि विकासखंड भिलांगन क्षेत्र में दो मुख्य बाजार व नगर पंचायत चमियाला और घनसाली के लगातार बढ़ती आबादी को देखते हुए सरकार ने चमियाला और घनसाली को दो अलग-अलग नगर पंचायत का दर्जा दिया था। तब से लगातार नगर में आबादी बढ़ती ही जा रही है। हालांकि जल निगम ने घनसाली के लिए रानीगढ़ पेयजल लाइन का निर्माण किया और चमियाला कें छतियारा-सेंदुल पेयजल लाईन का निर्माण किया था लेकिन उस समय दोनों नगरों कि आबादी कुल 20 हजार से ऊपर नहीं थी। लेकिन लगातार बढ़ती आबादी को देखते हुए बीजेपी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2018 में घनसाली के एक कार्यक्रम में आए थे जहां पर क्षेत्र की जनता ने सीएम से घनसाली और चमियाला के लिए दो अलग-अलग पंपिंग योजनाओं को सरकार से बनाने की मांग की थी। सीएम के द्वारा दोनों जगहों पर पानी की समस्या को देखते हुए घोषणा भी की गई थी जिसके लिए बकायदा दोनों योजनाओं के लिए 10 लाख के करीब टोकन मनी तक रिलीज कर दी गई थी जिसकी डीपीआर तैयार करने का जिम्मा जल निगम घनसाली को दिया गया था। जिसमें चमियाला पंपिंग योजना का निर्माण 16 करोड़ और घनसाली 17 करोड़ की लागत से किया जाना था। लेकिन मामला चार वर्ष बाद भी डीपीआर से आगे नहीं बढ़ पाया है। जबकि घनसाली नगर पंचायत की जनसंख्या तब से लेकर अब तक दुगनी हो गई है वहीं हाल चमियाला नगर पंचायत का है लोगो को पर्याप्त पानी नही मिल पा रहा है। यदि दोनों जगहों पर पंपिंग योजना का निर्माण किया जाता तो क्षेत्र के लोगो को पानी किल्लत से नहीं जूझना पड़ता।
वहीं इस मामले में जल निगम के अधिशासी अभियंता एनएल चंदोला ने बताया कि दोनों योजनाओं के निर्माण में वन भूमि का मसला उलझा हुआ था जिसे अब स्वीकृति मिल गई है। साथ ही दोनों योजनाओं को जल जीवन मिशन के तहत दुबारा से डीपीआर तैयार की जा रही है जिसे जल्द ही शासन स्तर पर भेजा जाएगा। जिससे समय पर पंपिंग योजनाओं के निर्माण के लिए धन उपलब्ध हो सकें।
अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक उक्त योजना धरातल पर उतर पाती है या घोषणाओं तक ही सीमित रहेगी।