बड़ी खबर:- टिहरी के रोहित ने एशियन यूथ एवं जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदकर जीतकर बढ़ाया देश का मान।

उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल देहरादून ब्रेकिंग न्यूज

रिपोर्ट:- पंकज भट्ट, टिहरी

टिहरी गढ़वाल:- उत्तराखंड के युवा अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहे हैं। वहीं, टिहरी के एक कुक के बेटे रोहित चमोली ने एशियन यूथ एवं जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदकर जीतकर भारत के साथ ही उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया है। रोहित की इस उपलब्धि से उनके परिवार एवं गांव वाले काफी खुश हैं। रोहित के पिता ने कहा कि आमतौर पर एक बच्चे को पिता के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब हमें बेटे के नाम से जाना जाएगा।
टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक आने के बाद देश के खिलाड़ियों का जोश दोगुना हो गया है। इस बार एक कुक के बेटे ने एशियन यूथ एवं जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्डन पंच जड़ दिया है। चैंपियनशिप का आयोजन दुबई में किया जा रहा है।
रविवार को 48 किलो भार वर्ग के फाइनल में भारत की ओर से खेलते हुए रोहित चमोली ने मंगोलिया के ओटगेनबयार तुबश्जिया को 3-2 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। चैंपियनशिप में इस मेडल के साथ भारत ने खाता खोला। चंडीगढ़ अमेच्योर मुक्केबाजी एसोसिएशन अगले महीने शहर में होने वाली मुक्केबाजी चैंपियनशिप के दौरान रोहित को सम्मानित करेगी।

आपको बता दें कि 16 वर्षीय रोहित चमोली मूलरूप से टिहरी जनपद के पाटा- पलाम गांव के रहने वाले है। रोहित चमोली ने सेक्टर-16 गवर्नमेंट स्कूल से दसवीं की कक्षा पास की है। वह नयागांव में रहते हैं। उनके पिता जय प्रकाश मोहाली के थ्री बी-2 के एक होटल में तंदूर पर कुक का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि एशियन यूथ एवं जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में बेटे का फाइनल मुकाबला मोबाइल पर देखा। जैसे ही बेटे ने गोल्ड मेडल हासिल किया, खुशी से उनकी आंखों में आंसू आ गए।  बोले- इस खुशी को बयां करना बेहद मुश्किल है। बेटे ने देश और परिवार का नाम रोशन कर दिया है।

रोहित के पिता जय प्रकाश इस दिन को सबसे खास दिन मानते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक बच्चे को पिता का नाम से जाना जाता है लेकिन अब हमें बेटे के नाम से जाना जाएगा. एक गरीब परिवार से होते हुए भी उसने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि उसका दिन सुबह 4 बजे शुरू होता था और वह अपनी ट्रेनिंग के लिए जाता था, उसके बाद वह अपने स्कूल जाता और शाम को थोड़ा रेस्ट करने के बाद शाम को ट्रेनिंग करता था। उसने घर में दाल चावल खाकर ही ट्रेनिंग की है, क्योंकि हम उसे स्पेशल डाइट नहीं देते थे। इस सफलता में उसके कोच जोगिंदर सिंह का सबसे बड़ा रोल है, उन्होंने ही रोहित को तराशा है। रोहित चमोली के कोच जोगिंदर कुमार पंजाब पुलिस में एएसआई हैं और सेक्टर- 9 स्थित पंजाब पुलिस के हेडक्वार्टर में तैनात हैं। उन्हें बच्चों को मुक्केबाजी सिखाने का जनून है। जोगिंदर गरीब घर के बच्चों को सेक्टर-3 स्थित बोगनवेलिया गार्डन के खुले एरिया में मुक्केबाजी की निशुल्क ट्रेनिंग देते हैं। रोहित को उनके पिता चार साल पहले मुक्केबाजी सिखाने जोगिंदर कुमार के पास लेकर आए थे। इसके बाद कोच ने इस खिलाड़ी को तराशने का काम शुरू किया। मौसम कैसा भी रहे रोजाना अन्य मुक्केबाजों की तरह रोहित को कड़ी ट्रेनिंग दी। कोच ने कहा कि इस खिलाड़ी के पास लंबे हाथों के पंच मारने की तकनीक है। इस तकनीक का फाइनल मुकाबले में इस्तेमाल किया और मंगोलिया के मुक्केबाज को धूल चटा दी।