बिग ब्रेकिंग: फिलहाल नहीं हो पाएंगे पंचायती चुनाव। चुनाव की तैयारी करने वालों को बड़ा झटका।
देहरादूनः- त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव की स्थिति न बन पाने की दशा में उनमें अब एक साल तक प्रशासक नियुक्त किए जा सकेंगे। इसके लिए पंचायतीराज अधिनियम में अध्यादेश के जरिए संशोधन के लिए सोमवार को सरकार ने हरी झंडी दे दी। पंचायतीराज अधिनियम में प्रविधान है कि पंचायतों में छह माह तक ही प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार यादव के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल एक साल तक बढ़ाने के दृष्टिगत अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को मंजूरी के लिए मंगलवार को राजभवन भेजा जाएगा।
पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश में तर्क दिया गया है कि राज्य में लगभग छह माह तक चारधाम यात्रा संचालित होती है। यही नहीं, राज्य आपदा की दृष्टि से भी संवेदनशील है।
पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को सरकार की हरी झंडी, आज भेजा जाएगा राजभवन
इसके साथ ही राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ना भी हो गया है तय।
जुलाई से लेकर अक्टूबर तक राज्य आपदा से जूझता है। इसके बाद मशीनरी पुनर्निर्माण कार्यों में व्यस्त रहती है। इसके अलावा नवंबर से जनवरी तक बर्फबारी के कारण पर्वतीय क्षेत्र में काफी दिक्कतें रहती हैं। कहा गया है कि इस सबको देखते हुए लोकसभा, विधानसभा चुनाव फरवरी, मार्च के आसपास होते आए हैं। अध्यादेश में कहा गया है कि इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पंचायतीराज अधिनियम में पंचायतों का कार्यकाल एक वर्ष तक की अवधि के लिए बढ़ाया जाना आवश्यक है। पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार के अनुसार मुख्यमंत्री ने सोमवार को विचलन के माध्यम से इस संशोधन अध्यादेश को स्वीकृति दे दी।
बता दें कि वर्तमान में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछले वर्ष नवंबर आखिर में इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। यद्यपि, बाद में निवर्तमान ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों को ही यह जिम्मेदारी दे दी गई। प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल इसी माह के आखिर में खत्म हो रहा है। अब जबकि पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने के संबंध में सरकार अध्यादेश ला रही है तो इससे साफ हो गया है कि प्रशासकों का कार्यकाल भी बढ़ेगा।