पंचायतों को संकट से बाहर निकालने के लिए उप समिति का हुआ गठन, 15 दिनों में समिति सौपेगी रिपोर्ट।

उत्तराखंड देहरादून ब्रेकिंग न्यूज

पंचायतों को संकट से बाहर निकालने के लिए उप समिति का हुआ गठन, 15 दिनों में समिति सौपेगी रिपोर्ट।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल बनाए गए अध्यक्ष,मंत्री रेखा आर्या और सौरभ बहुगुणा सदस्य नामित

पंचायतीराज अधिनियम में नए सिरे से संशोधन की कवायद

देहरादून:- हरिद्वार को छोड राज्य के शेष 12 जिलों में संवैधानिक संकट से जूझ रही 7600 त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए समाधान की राह तैयार की जा रही है।

विगत बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय पर अनौपचारिक मंथन के अगले दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारण की वर्मा आयोग की संस्तुतियों के आधार पर नियमावली के परीक्षण को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित कर दी।

उप समिति के अन्य दो सदस्य कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या एवं सौरभ बहुगुणा हैं। साथ में पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से तैयार किया जाएगा, ताकि इसे राजभवन भेजा जा सके।

पंचायत चुनाव को लेकर उलझन को सुलझाने में प्रदेश सरकार को पसीना बहाना पड़ रहा है। शीघ्र चुनाव प्रक्रिया शुरु कर चुनाव कराए जाते हैं तो वर्षाकाल में चुनाव कराने में होने वाली कठिनाइयां और आपदा की चुनौती को देखते हुए सरकार के कदम ठिठक रहे हैं।

इसके साथ ही ये चिंता भी सता रही कि मुखिया विहीन चल रही पंचायतों में कामकाज ठप पड़े हैं। मंत्रिमंडल की गत दिवस हुई बैठक में इस मुद्दे को लेकर अनौपचारिक रूप से मंधन किया जा चुका है।

सरकार वर्तमान में दोहरे संकट से निपटने के लिए योजना बना रही है। पंचायत चुनाव शीघ्र कराना तब ही संभव है, जब ओबीसी आरक्षण नियमावली को मंजूरी दी जाए। ओबीसी आरक्षण के संबंध में गठित एकल समर्पित वर्मा आयोग अपनी
रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। इस रिपोर्ट के आधार पर नगर निकाय चुनाव कराए जा चुके हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों में ओबीसी आरक्षण के निर्धारण और इससे संबंधित पहलुओं के परीक्षण को सीएम धामी ने मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की है। समिति को 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। समिति की पहली बैठक सात जून की होगी। इसमें वर्मा आयोग की तीसरी रिपोर्ट उप समिति के समक्ष रखी जाएगी।

पंचायतों में प्रशासक कार्यकाल बढ़ाने के लिए पंचायती राज अधिनियम में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन होना आवश्यक है। इस संबंध में संशोधन अध्यादेश राजभवन लौटा चुका है। आरक्षण नियमावली व अध्यादेश की खामियों के परीक्षण के लिए शासन की निर्देशित किया गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से बनाने की आवश्यकता महसूस की गई है। इसके लिए शासन ने कसरत प्रारंभ कर दी है। नए सिरे से बनने वाले अध्यादेश में विधायी विभाग की आपत्ति को ध्यान में रखा जाएगा। इसके आधार पर ही राजभवन ने अध्यादेश लौटाने का निर्णय किया।