देहरादून:- प्रदेश में अब अरोमा(सगंध) और हर्बल(औषधीय) टूरिज्म भी शुरू होने जा रहा है। इसके लिए उत्तराखंड की पांच सौ वन पंचायतों में हर्बल और अरोमा गार्डन बनाए जाएंगे। वन विभाग ने इसका पूरा ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसके तहत पहले चरण के लिए जल्द ही 11 जिलों में दो सौ वन पंचायतों का चयन किया जाएगा।
उत्तराखंड में लगभग 12 हजार वन पंचायतें हैं। ऐसे में इसके लिए पंचायत में जमीन, वहां की परिस्थिति और अन्य बिंदुओं के आधार पर पांच सौ पंचायतों का चयन किया जाएगा। इसके बाद इन पंचायतों में अरोमा और हर्बल गार्डन बनाए जाएंगे। जिनमें जड़ी बूटी की खेती, उनके उपयोग, उनकी मार्केटिंग और अन्य तरह की जानकारियां यहां आने वाले पर्यटकों को दी जाएंगी। इन जड़ी बूटियों, सगंध पौधों और उनके उत्पादों की खरीद भी पर्यटक कर सकेंगे। पहले चरण में दो सौ वन पंचायतों में ये गार्डन बनाए जाएंगे। इसके लिए लोगों से सुझाव भी मांगे गए हैं।
पयर्टन के साथ बढ़ेगा स्थानीय रोजगार
इससे जहां प्रदेश में पर्यटन बढ़ेगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इस योजना का मुख्य मकसद वन पंचायतों में रहने वाले लोगों को वहीं के संसाधनों से रेाजगार देना है। इस योजना से प्रदेश में लाखों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। जिसमें पर्यटन के साथ जड़ी बूटी उत्पादन, प्रसंस्करण और अन्य तरह के कामों में स्थानीय लोग ही लगेंगे।
कम से कम तीस हेक्टेयर में होगा पार्क
इस योजना के तहत जो वन पंचायत हर्बल व अरोमा पार्क बनाना चाहती है, उसे कम से कम तीस हेक्टेयर जगह उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा वन पंचायत सुचारु होनी चाहिए और उसमें समय पर चुनाव होने चाहिए। पंचायतों के चयन में जड़ी-बूटी उत्पादन व उससे जुड़े लोगों की संख्या भी एक कारक होगा। इसके अलावा पंचायत मेन रोड से अधिकतम पांच किलोमीटर की दूरी तक होनी चाहिए।
वहीं वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वन पंचायतों को हर्बल और अरोमा टूरिज्म से जोड़ने की योजना है। इसके लिए चुनी हुई वन पंचायतों में औषधीय और सगंध पार्क खोले जाने हैं। इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। इसमें कई विभाग मिल कर काम करेंगे। इससे जहां प्रदेश में पर्यटन बढ़ेगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आय भी बढ़ेगी।
इन जिलों से शुरुआत
देहरादून, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी व उत्तरकाशी