घनसाली:- मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन से चार आवासीय भवन क्षतिग्रस्त, सात मवेशी मलबे में जिंदा दफन।

उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल ब्रेकिंग न्यूज

रिपोर्ट:- दीपक श्रीयाल/घनसाली

घनसाली:- टिहरी जनपद में देर रात से हुई मूसलाधार बारिश के कारण भिलंगना विकासखंड का दूरस्थ कोट गांव में आवासीय भवनों के पीछे से भारी भूस्खलन होने से चार मकान मलवे की चपेट में आ गए जिससे दो मकान पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गए और दो घरों के छत में मलवा आने के कारण पूरी तरह से छतीग्रस्त हो गए है। भूस्खलन के कारण ध्वस्त हुए भवनों के अंदर ग्रामीण गोपाल लाल और नंदलाल के सात मवेशी मलवे में जिंदा दफन हो गए गनीमत यह रही कि समय रहते मकानों में निवासरत सभी लोगों ने भागकर अपनी जान बचा ली जिससे एक बड़ी अनहोनी होने से बच गई। सूचना मिलते ही आपदा राहत और बचाव दल सहित प्रशासन मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य में लगा हुआ है।

हादसे की जानकारी देते हुए राजस्व उपनिक्षक गब्बर सिंह ने बताया कि ग्रामीण गोपाल लाल, देवदास व दो और ग्रामीणों को बहुत अधिक नुकसान हुआ हैै। दोनों के मकान ध्वस्त हो गए है। घर टूट जाने के कारण कमरे के अंदर बंधे सात पालतू पशुओं की भी मलबे में दबकर मौत हो गई है। साथ ही ग्रामीण सुंदर सिंह, उम्मेद सिंह के घरों में अत्यधिक मलवा आने के कारण इनके घर भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

वहीं आपको बता दें कि भारी बारिश के कारण बुढाकेदार सड़क मार्ग जगह-जगह बंद होने और चानी गदेरे के उफान पर आने से प्रशासन और राहत बचाव की टीम को कोटगांव पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गांव में लाइट भी नहीं है।

मौके पर गए एसडीएम के0एन गोस्वामी ने बताया कि जो परिवार अधिक प्रभावित हुए है उनको गांव में दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया गया हैं। साथ ही मृत मवेशियों के शवों को दफनाने के लिए दोनों नगर पंचायतो से टीम बुला दी गई है। एसडीएम ने बताया कि कोट गांव आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील है जिसेका भू सर्वेक्षण करने के लिए टीम भेजी जाएगी। जरूरत पड़ने पर प्रभावित परिवारों की पुनर्वास की कार्यवाही की जाएगी

हर वर्ष रुलाती है कोट गांव को आपदा:

वर्ष 2000 में भी कोट गांव के ऊपर बदल फटने की घटना से दो लोगो को जान गवानी पड़ी थी फिर वर्ष 2019 में दो घरों के पीछे भारी मात्रा में भूस्खलन होने से एक ही परिवार के छः लोगो को अकाल मौत का शिकार होना पड़ा था। जिसमें बच्चे भी शामिल थे और फिर बुधवार कि सुबह फिर घरों के पीछे भूस्खलन होने से सात मवेशियों को जान गंवानी पड़ी है। शुक्र है कि मलवा आने की घटना सुबह के वक्त की थी रात्रि के समय होता तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी।