खूब सुर्खियां बटोर रही कवि बेलीराम कंसवाल की होटलियर भाइयों पर रचित गढ़वाली कविता “होटलियार मशहूर होयां छन”।
घनसाली:- डॉ. बेलीराम कनस्वाल द्वारा उत्तराखंड के होटल व्यवसाय से जुड़े होटलियर भाइयों पर रचित गढ़वाली कविता “होटलियार मशहूर होयां छन” आजकल खूब चर्चाओं में है।
उत्तराखंड के विभिन्न भागों से युवा विदेशों में जाकर होटल में अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं, युवाओं के इसी हुनर को बेलीराम ने अपनी कविता के माध्यम से उजागर किया। जिसको आम जनमानस खूब पसंद कर रहा है। कविता में होटलियरों के संघर्ष,खैरि- विपदा एवं जन्मभूमि के प्रति अगाध प्रेम का भी खूब चित्रण किया गया है। अपनी कविता में बेलीराम ने कहा कि, होटलियार भाइयों ने उत्तराखंड की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करने का बीड़ा उठाया है। उत्तराखंड के होटल व्यवसाय से जुड़े युवाओं पर अब तक की यह पहली कविता खूब सुर्खियां बटोर रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल इस कविता को सुनकर देश-विदेश में रहने वाले होटलियार भाइयों के अलावा डॉक्टर बेलीराम के हजारों फॉलोवरों ने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।
ज्ञात हो कि डॉ.बेलीराम कनस्वाल ग्राम- भेट्टी ,ग्यारह गांव, टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी हैं ,साहित्यिक क्षेत्र में हिंदी और गढ़वाली में हजारों काव्य रचनाएं करने वाले डॉ. बेलीराम को अब तक सैकड़ो पुरस्कारों एवं समान पत्रों से सम्मानित किया गया है।
फरवरी 2025 में अयोध्या में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में “काशी हिंदी विद्यापीठ” के द्वारा बेलीराम को डॉक्टरेट की मानद उपाधि “विद्या वाचस्पति सारस्वत सम्मान”से भी सम्मानित किया गया है।
पढ़िए पूरी कविता–
घौर बटिन भले दूर होयां छन,
कना कनाकै मजबूर होयां छन।
पर होटलुमा जैक मेनत कैक,
होटलियार मशहूर होयां छन।
क्वीटीरि बटिन क्वीपौड़ि बटिन
क्वी उत्तरकाशी गंगोरी बटिन,
क्वी नैनबाग क्वी अलमस फेडी,
क्वी नैट्वाड़ अर मोरी बटिन।
क्वी रैका रमोल्या क्वी भरपूरा,
क्वी प्रतापनगर त क्वी पंचूरा।
आरगढ क्वी गोनगढ वासर,
क्वी मंगरौं त क्वी मंदारा।।
गंगी भिलंग त क्वी हिंदौं का,
क्वी लमगौं क्वी ग्यारागौं का,
ग्वालदम गोपेश्वर क्वी गौचर,
क्वी अल्मोड़ा रानीखेता।
क्वी एकेश्वर क्वी द्वारीखाळा,
क्वी खिर्सु क्वी कळ्जीखाळा,
क्वीरिखणी क्वी पावौ पोखरा,
क्वी नैनी क्वी जैरीखाळा।।
हर घर का हर गौंका मौ का,
परदेश जयां सबि गढवाळ कुमौं का।
गरीबी हटौण समृद्धि ल्योंण,
सुपिन्या स्वाणा सजायां तौंका।
मेनत सि भलु नातु जोड्यूं च,
मान मर्यादौ बाटु खोल्यूं च।
कोठी बंग्ला भले हि सैरु मा,
पर गौंमाभि औणूं जाणू रख्यूंच।
नयां ढंग का मकान बणैंलिन,
सैरु बजारू जना खूब सजैलिन।
घरु घरु मा सुख सुविधा सारी,
गौं-गौ मिनि जापान बणैंलिन।।
भांति -भौति का काम भनौणा,
भांति-भाति का फर्ज निभौणा,
क्वी इंडियन चैनीज किचनु मा
क्वी चाखिक सार सग्वार बतौणा।
जापान जर्मनी क्वी ओमान,
मस्कट दुबई क्वी लेबनान।
स्वाभिमान सी खाणि-कमौणी,
कतर कनाडा क्वी सूडान।।
चीन कुवैत क्वी छन इंग्लैण्ड,
सउदी अरेबिया क्वी फिनलैण्ड।
शान बढ़ै तुम उत्तराखड्ंयू न,
मॉरीसश यू.के. पोलेण्ड।।
होटल वाळा भै- बंदु जनु,
मान बण्यूं तनि बणैं रखियान
आन बान छिन उत्तराखण्डै तुम,
राजी – कुशी जुगराज रयान।।
चाची बडी रैबार देणीं छन,
डाळी बुर्दी धै लगाणीं छन।
ऐंसु बग्वाल्यूं मा घौर अयान,
अंध्ये लगली बुलाण लगीं छन।
चौक- तिबारी, दुधै– कुठारी,
मोळ -हिंसर किनगोड़ अर कांगू ,
गौं-गळी तुमतैं जागण लगीं छन।
चाची बडी रैबार ———–।।
रचना— बेलीराम कनस्वाल